तेरी पेशानी पे चिराग़ जले,
न बुझे आस कोई ख़ाक तले।
जब दुनिया में कोई लफ्ज़ न हो,
तेरे पन्नों पे कोई बात चले...
तेरी खुशियां भी तेरे साथ चले,
ना कोई ग़म हो तेरी पलकों तले।
जब दुनिया में कोई जश्न न हो,
तेरी उजली हँसी में रात ढले।
तेरी आँखों में गीली बात पले,
न दबे हौसले जज़्बात तले।
जब दुनिया में कहीं उर्दू न हो,
तेरे अल्फ़ाज़ में हयात चले।
तेरी सोहबत को न सबात खले,
लिखे जब यूँही तेरा हाथ चले।
जब दुनिया में कोई हुनर न हो,
तेरे जज़्बों में करामात पले।
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