Friday, January 8, 2016

मुलाक़ात

तुझसे मिलते रहने के लिए मुलाक़ात ज़रूरी नहीं।
यूँही ख्वाबों में बहने के लिए हकीकत ज़रूरी नहीं...

हर मौसम गुज़रा है तेरे बेगैर मगर तेरे साथ ही।
राधा बनु या मीरा,इंतज़ार का अंत ज़रूरी नही...

ढाई सदी..

मुझे पता है तुम्हारी बालकॉनी से समंदर दिखता है... तुम हर खुशी के मौके पे दौड़के आते हो वहां; कभी कभी रोने भी... कभी चाहनेवालों को हाथ ह...