Friday, December 29, 2017

नाम छुपाने पे मजबूर किया है

तेरे इश्क़ ने ही मशहूर किया है,
नाम छुपाने पे मजबूर किया है।
दिल की क्या औकात थी पहले,
मोहब्बत ने ही मग़रूर किया है।
कोई और लत क्या लगेगी मुझे,
तेरे प्यार ने ऐसा सुरूर दिया है।
टूटे भी मगर झुके नहीं 'आईना'
यक़ीन-ए-उन्स ने ग़ुरूर दिया है।

तेरे इश्क़ ने ही मशहूर किया है,
नाम छुपाने पे मजबूर किया है।
दिल की क्या औकात थी पहले,
मोहब्बत ने मग़रूर किया है।
साथ हो कर भी दिखता नहीं है,
ख़ुदा ने कुछ तो ज़रूर किया है।
टूटे मगर न झुके 'आईना'
तेरे अक्स पे ग़ुरूर किया है।

तेरे ही इश्क़ ने मशहूर किया,
नाम ढकने पे मजबूर किया।
है तो मामूली सा ये दिल मेरा
मोहब्बत ने ही मग़रूर किया।
साथ हो कर भी नहीं दिखता,
ख़ुदा ने कुछ तो ज़रूर किया।
टूट कर भी नहीं झुका 'आईना'
तेरे ही अक्स पे ग़ुरूर किया।

Thursday, December 28, 2017

Doob kar saans

"तेरे दिल के ज़मीन पर तैरते रहे कितने जिस्म,
हमे अक्सर समंदर में डूब कर ही साँस मिली।"

Urdu

"पिछले जनम से लौट आती है
जब कभी ज़ुबान पे उर्दू,
बे-अदब तीखे अल्फ़ाज़ों को भी
तहज़ीब मिल जाती है..."

Asaan

"बिछड़ने से पहले ऐसे गले लगाया गोया
ख़ुद से लिपट जाना भी आसान हो गया..."

Saturday, December 16, 2017

Dasht-e-pyaas

दश्त-ए-प्यास में फिर जगी ख़्वाहिश क्यों है,
तेरी आँखों में मेरे ज़ख़्मों की नुमाइश क्यों है!

खंजर सी चुभती रही चीखें तेरी खामोशी की,
ज़िन्दगी में इश्क़ की ऐसी आज़माइश क्यों है!

आँखें कभी सूखती नहीं,दिल सुर्ख हो जाता है,
रेत सी फिसलती धड़कनों में ये बारिश क्यों है!

किसी टूटे दिल की बद्दुआ से शीशा है 'आईना'
फिर से पत्थर बनने की अब गुज़ारिश क्यों है...

ढाई सदी..

मुझे पता है तुम्हारी बालकॉनी से समंदर दिखता है... तुम हर खुशी के मौके पे दौड़के आते हो वहां; कभी कभी रोने भी... कभी चाहनेवालों को हाथ ह...