Saturday, March 3, 2018

Paak paani

शुद्ध हो गई मैं, तेरी आँखों से पी के जहान।
तेरे अश्क़ से पाक पानी किसी गंगा में कहां...

ढाई सदी..

मुझे पता है तुम्हारी बालकॉनी से समंदर दिखता है... तुम हर खुशी के मौके पे दौड़के आते हो वहां; कभी कभी रोने भी... कभी चाहनेवालों को हाथ ह...