Friday, December 29, 2017

नाम छुपाने पे मजबूर किया है

तेरे इश्क़ ने ही मशहूर किया है,
नाम छुपाने पे मजबूर किया है।
दिल की क्या औकात थी पहले,
मोहब्बत ने ही मग़रूर किया है।
कोई और लत क्या लगेगी मुझे,
तेरे प्यार ने ऐसा सुरूर दिया है।
टूटे भी मगर झुके नहीं 'आईना'
यक़ीन-ए-उन्स ने ग़ुरूर दिया है।

तेरे इश्क़ ने ही मशहूर किया है,
नाम छुपाने पे मजबूर किया है।
दिल की क्या औकात थी पहले,
मोहब्बत ने मग़रूर किया है।
साथ हो कर भी दिखता नहीं है,
ख़ुदा ने कुछ तो ज़रूर किया है।
टूटे मगर न झुके 'आईना'
तेरे अक्स पे ग़ुरूर किया है।

तेरे ही इश्क़ ने मशहूर किया,
नाम ढकने पे मजबूर किया।
है तो मामूली सा ये दिल मेरा
मोहब्बत ने ही मग़रूर किया।
साथ हो कर भी नहीं दिखता,
ख़ुदा ने कुछ तो ज़रूर किया।
टूट कर भी नहीं झुका 'आईना'
तेरे ही अक्स पे ग़ुरूर किया।

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