Wednesday, December 9, 2015

स्वयंसेवक

स्वयंसेवक आशिक़ों की
कमी नहीं।
पूछते रहते हैं
क्या सेवा कर सकता हूँ।
जैसे मेरी मदद करने से
उनको मोक्ष प्राप्ति होगी।
एकदिन मांग ली सहायता
तो वे परेशान हो गए।
बस इतना ही कहा था के
बहुत दिनों से रोया नहीं।
रुला सकते हो मुझे?

ढाई सदी..

मुझे पता है तुम्हारी बालकॉनी से समंदर दिखता है... तुम हर खुशी के मौके पे दौड़के आते हो वहां; कभी कभी रोने भी... कभी चाहनेवालों को हाथ ह...