Tuesday, July 26, 2016

सच

तुम मौत की तरह सच हो,
एक मुलाक़ात तो लाज़मी है....

ढाई सदी..

मुझे पता है तुम्हारी बालकॉनी से समंदर दिखता है... तुम हर खुशी के मौके पे दौड़के आते हो वहां; कभी कभी रोने भी... कभी चाहनेवालों को हाथ ह...