Thursday, November 30, 2017

रिश्तों की आंच

मुझे तुम्हारा डरना पसंद है,
घबराना पसंद है,
बात करने से कतरा जाना पसंद है...
और जब हमारी खामोशी के बीच
तुम सोचते रहते हो मेरे बारे में
उस सोच की आंच पसंद है।
रिश्तों में यह तपिश बरक़रार रहे,
तुम रहो, मैं भी रहूँ,
बात ना हो फिर भी एक बात रहे...

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