ज्यों श्याम पड़ो मोरे पीछे, पर मैं ना उसकी होइ;
मैं हूँ जोगन, जिसको चाहूँ, उसकी धुन में खोई..
रुक्मिणी तू काहे मीरा को, राधा समझ के रोइ...
तेरो श्याम रख आँचल में, मेरो श्याम और कोई...
मन में राधा तन पे कान्हा, सगरी रैन ना सोई,
तू क्या जाने तोरे मन की खबर रखे हैं कोई...
रुक्मिणी तू काहे मीरा को, राधा समझ के रोइ...
ज्यों श्याम पड़ो मोरे पीछे, पर मैं ना उसकी होइ;
प्रेम ही पूजा, प्रेम ही जीवन, प्रेम से बचे ना कोई,
श्याम नाम से राधा-मीरा, तोरी ही प्रीत में खोई।
रुक्मिणी तू काहे प्रिये को, सौतन समझ के रोइ...
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