Saturday, February 25, 2017

Nayi Ghadi- Naya Waqt

नयी घड़ी के साथ शायद नया वक़्त आ जाए,
इसी तरह दुनिया अब उम्मीद खरीद लेती है।

मैं भी धड़ी धड़ी, धड़ी बदल लेती हूँ...

No comments:

Post a Comment

ढाई सदी..

मुझे पता है तुम्हारी बालकॉनी से समंदर दिखता है... तुम हर खुशी के मौके पे दौड़के आते हो वहां; कभी कभी रोने भी... कभी चाहनेवालों को हाथ ह...