घर लौटते वक़्त कहीं
फिसल न जा ना जाना;
तेरी गली से गुज़रते हुए
यादों की बारिश हुई...
फिसल न जा ना जाना;
तेरी गली से गुज़रते हुए
यादों की बारिश हुई...
मुझे पता है तुम्हारी बालकॉनी से समंदर दिखता है... तुम हर खुशी के मौके पे दौड़के आते हो वहां; कभी कभी रोने भी... कभी चाहनेवालों को हाथ ह...
No comments:
Post a Comment