Monday, December 25, 2006

triveni on "Dareecha"

salaakhon se jakrisi chinkh rahi thi rooh meri,
zanjiron me qaid hoon main,aur tu khula aasmaan,

teri aankhen hai ya khulta hua dareecha sapnoka...

No comments:

Post a Comment

ढाई सदी..

मुझे पता है तुम्हारी बालकॉनी से समंदर दिखता है... तुम हर खुशी के मौके पे दौड़के आते हो वहां; कभी कभी रोने भी... कभी चाहनेवालों को हाथ ह...