मुझे तुम्हारा डरना पसंद है,
घबराना पसंद है,
बात करने से कतरा जाना पसंद है...
और जब हमारी खामोशी के बीच
तुम सोचते रहते हो मेरे बारे में
उस सोच की आंच पसंद है।
रिश्तों में यह तपिश बरक़रार रहे,
तुम रहो, मैं भी रहूँ,
बात ना हो फिर भी एक बात रहे...
Thursday, November 30, 2017
रिश्तों की आंच
Wednesday, November 22, 2017
Friday, November 10, 2017
फ़र्क़ है
"किसी से प्यार हो जाना और
उससे शादी करने की ख्वाहिश,
दोनों में ज़रा सा फ़र्क़ होता है।
प्यार ऐसा है जैसे पेड़ों पे फूल
आते देख खुश हो जाना।
और शादी करने की चाह कुछ
यूँ है के उस फूल को तोड़ कर
अपने कमरे में ला कर सजा देना,
कुछ दिनों तक जिंदा रख कर
लोगों को दिखाना।
वैसे तो दोनों ही बातें खूबसूरत है;
मगर........फ़र्क़ है।"
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jab bhi teri ankhein bolti hai Urdu Urdu si hawaah chalti hai... aksar nam aankhon mein teri, meri baatein bhig jati hain... ek ghazal ubhar...
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