तुझसे मिलते रहने के लिए मुलाक़ात ज़रूरी नहीं।
यूँही ख्वाबों में बहने के लिए हक़ीकत ज़रूरी नहीं...
हर मौसम गुज़रा है तेरे बगैर भी तेरे साथ ही।
राधा बनु या मीरा, इंतज़ार का अंत ज़रूरी नही...
तुझसे मिलते रहने के लिए मुलाक़ात ज़रूरी नहीं।
यूँही ख्वाबों में बहने के लिए हक़ीकत ज़रूरी नहीं...
हर मौसम गुज़रा है तेरे बगैर भी तेरे साथ ही।
राधा बनु या मीरा, इंतज़ार का अंत ज़रूरी नही...
तेरी पेशानी पे चिराग़ जले,
न बुझे आस कोई ख़ाक तले।
जब दुनिया में कोई लफ्ज़ न हो,
तेरे पन्नों पे कोई बात चले...
तेरी खुशियां भी तेरे साथ चले,
ना कोई ग़म हो तेरी पलकों तले।
जब दुनिया में कोई जश्न न हो,
तेरी उजली हँसी में रात ढले।
तेरी आँखों में गीली बात पले,
न दबे हौसले जज़्बात तले।
जब दुनिया में कहीं उर्दू न हो,
तेरे अल्फ़ाज़ में हयात चले।
तेरी सोहबत को न सबात खले,
लिखे जब यूँही तेरा हाथ चले।
जब दुनिया में कोई हुनर न हो,
तेरे जज़्बों में करामात पले।
मुझे पता है तुम्हारी बालकॉनी से समंदर दिखता है... तुम हर खुशी के मौके पे दौड़के आते हो वहां; कभी कभी रोने भी... कभी चाहनेवालों को हाथ ह...